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=> कालशर्प-दोष क्या है ?
जब किसी इन्सान की जनम-कुंडली में दो ग्रह राहु और केतु आमने-सामने हो और सभी ग्रह राहु और केतु ग्रह के बीच में स्थित हो तो उस इन्सान की जनम-कुंडली में "काल-सर्प-दोष " बनता है।इस स्तिथि में सभी ग्रहों को राहु और केतु खा जाते है। जिसके फलस्वरूप इन्सान को अपने जीवन में अत्यधिक संघर्स करना पड़ता है। उस समय इन्सान को किसी भी तरफ से आशा की कोई किरण नजर नहीं आती है और सबी दिसो से निराशा ही निराशा दिखाई देती है। उस इन्सान के जीवन में हर कदम पर बड़ी-बड़ी मुसीबतो का सामना करना पड़ता है।
तब इन्सान को अपनी नोकरी,कारोबार,सम्पति,बीमारी और छल-कपट की चिंता बानी रहती है। सामन्य देखा जाये तो जिसकी कुंडली में काल-सर्प-दोष होता है,वह इन्सान अपने जीवन को हमेशा दुसरो के लिए जीते है।
"कालशर्प " दो शब्दों के मेल से बना हुआ है - "राहु" मतलब 'काल' और "केतु" मतलब सर्प'' !!!!!!!!!!!!
=> कालसर्प-दोष के प्रकार -:
वेसे तो कालसर्प दोष 108 प्रकार के होते है परन्तु मुख्यतः राहु और केतु के कुंडली में अलग-अलग स्थान पर बैठने पर अलग-अलग प्रकार के दोष बन जाते है,और सभी योगो का प्रभाव भी अलग-अलग पड़ता है।
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आइये जानते है इनके 12 प्रकार -
* वासुकि कालसर्प दोष
* पदम् कालसर्प दोष
* पातक कालसर्प दोष
* संखपाल कालसर्प दोष
* शेषनाग कालसर्प दोष
* विषाक्त कालसर्प दोष
* अनंत कालसर्प दोष
* तक्षक कालसर्प दोष
* महापदम कालसर्प दोष
* संखनाद कालसर्प दोष
* कुलिक कालसर्प दोष
* कर्कोटक कालसर्प दोष
=> कालसर्प दोष के लक्षण -:
[] कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को सपने में मरे हुए लोग दिखायी देते है।
[] कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को सपने में घर की परछाई दिखाई देती है।
[] कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को सपने में इस लगता है की कोई उनका गला या सरीर को दबा रहा हो।
[] कालसर्प दोष से पीड़ित जातक को सपने में नदी,समुन्द्र और तालाब दिखाई देता है।
ये सभी लक्षन कालसर्प योग से पीड़ित होने के मुख्य लक्षन होते है।
=> कालसर्प दोष का कारण :-
कालसर्प योग इन्सान के कर्मो से ही होता है। कालसर्प दोष अक्सर उन लोगो की कुंडली में पाया जाता है जो की...* जो इन्सान अपने पिछले जीवन में किसी साँप को मार हो।
* जो इन्सान किसी जिव-जंतु को अधिक तड़पने से वो जानवर मर गया हो।
* और इसका मुख्य कारण यहाँ हो सकता है की जो इन्सान अपनी इच्छा को अपने पिछले जनम में पूरा न कर पाया हो।
=> कालसर्प दोष के उपाय / बचाव :-
कालसर्प दोष के दुष्प्रभाव से बचने के लिए ज्योतिष विद्या में जो उपाय बताये गए है जो की निम्न प्रकार से है -* प्रतिदिन पंचाक्षरी-मंत्र " ॐ: नमः सिवाय / महामृत्युंजय मंत्र का १०८ बार जप करे।
* काले अकीक की माला से राहु ग्रह का बीज मन्त्र का १०८ बार जप करे।
* शनिवार के दिन पीपल की जड़ में जल अर्पित करे।
* नागपंचमी के दिन व्रत रखे और नाग देवता की पूजा करे।
* भगवन श्री कृष्ण जी की पूजा करे।
* पंचमी के दिन ११ नारियल चलते जल में प्रवाहित करे।
* धातु से बने 108 नाग नागिन के जोड़े बहते जल में प्रवाहित करने चाहिए।
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कमैंट्स करने के लिए धन्यवाद् !
अभी हमारे अस्त्रोलोगेर गुरूजी व्यस्त है।
आशा है की गुरूजी जल्द ही आपकी सेवा में हाजिर होंगे।
Thanks For Regarding By Astrologer Guruji