=> भकूट-दोष क्या है ?
भकूट का अर्थ होता है वर और वधु की राशियों का अंतर।भारतीय-ज्योतिष अनुसार वर और बधु की शादी के दौरान कुंडली मिलाई जाती है। उनकी कुंडली से पता चलता है ,की वर और वधु की कुंडली में कितने गुण मिलते है ,इनमे कुल 36 गुल होते है जिनमे से 18 से अधिक गुण मिलने पर यह आशा की जाती है कि वर / वधु का वैवाहिक जीवन खुशहाल और प्रेमपूर्ण व्यतीत होगा।
=> भकूट-दोष के प्रकार :-
वर और वधु की कुंडली में गुण मिलान के लिए मुख्य रूप से अष्टकूट से निर्णय है ,इन अष्टकूट में से एक होता है भकूट इसका स्थान सातवाँ होता है।
आइये जानते है भकूट के निम्नलिखित प्रकार -
• पहला-सप्तक
• दूसरा-द्वादश
• तीसरा-एकादस
• चौथा-दसम
• पांचवा-नवम
• छठा -षड़सठक
=> सुभ और अशुभ भकूट कौन-कोनसे होते है ?
ज्योतिष विद्या के अनुसार भकूट को सुभ और असुभ मन जाता है जो की निम्न प्रकार से है।
अशुभ भकूट -:
• दूसरा-द्वादश• पांचवा-नवम
• छठा -षड़सठक
सुभ भकूट -:
• पहला-सप्तक• तीसरा-एकादस
• चौथा-दसम
=> किन-किन स्थिति में भकूट-दोष नहीं माना जाता है ?
भारतीय-ज्योतिष विद्या के अनुसार निम्न स्थितियो में भकूट दोष नहीं मन जाता है।
• यदि वर और वधु के नवमांशेश एक ही हो।
• यदि वर और वधु के नवमांशेश आपस में मित्र हो।
• यदि वर और वधु के राशिश।
• यदि वर और वधु के रसिस आपस में मित्र हो।
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कमैंट्स करने के लिए धन्यवाद् !
अभी हमारे अस्त्रोलोगेर गुरूजी व्यस्त है।
आशा है की गुरूजी जल्द ही आपकी सेवा में हाजिर होंगे।
Thanks For Regarding By Astrologer Guruji